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Understand your inner powers, balance them and use them for the welfare of the world. Then see how everything in life turns in your favor.

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Everyone knows about religion and salvation but knows nothing about it

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ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ स+अ+ऊ+ह+म+ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ=सोहम

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ओ३ Soham म् Om--Hindi & English  Description ओ३म् (ॐ) या ओंकार का नामान्तर प्रणव है। यह ईश्वर का वाचक है। ईश्वर के साथ ओंकार का वाच्य-वाचक-भाव सम्बन्ध नित्य है, सांकेतिक नहीं। संकेत नित्य या स्वाभाविक संबंध को प्रकट करता है। सृष्टि के आदि में सर्वप्रथम ओंकाररूपी प्रणव का ही स्फुरण होता है। तदनंतर सात करोड़ मंत्रों का आविर्भाव होता है। इन मंत्रों के वाच्य आत्मा के देवता रूप में प्रसिद्ध हैं। ये देवता माया के ऊपर विद्यमान रह कर मायिक सृष्टि का नियंत्रण करते हैं। इन में से आधे शुद्ध मायाजगत् में कार्य करते हैं और शेष आधे अशुद्ध या मलिन मायिक जगत् में। इस एक शब्द को ब्रह्मांड का सार माना जाता है, 16 श्लोकों में इसकी महिमा वर्णित है। ब्रह्मप्राप्ति के लिए निर्दिष्ट विभिन्न साधनों में प्रणवोपासना मुख्य है। मुण्डकोपनिषद् में लिखा है: प्रणवो धनु:शरोह्यात्मा ब्रह्मतल्लक्ष्यमुच्यते। अप्रमत्तेन वेद्धव्यं शरवत्तन्मयो भवेत् ॥ कठोपनिषद में यह भी लिखा है कि आत्मा को अधर अरणि और ओंकार को उत्तर अरणि बनाकर मंथन रूप अभ्यास करने से दिव्य ज्ञानरूप ज्योति का आविर्भाव होता है। उसके आलोक से निगूढ

LAW OF NATURE

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* Three bitter laws of nature, which is true !!! *  * 1.  First law of nature: If seeds are not planted in the field, then nature fills it with "weeds" !! In the same way that "positive" thoughts are not filled in the mind, then * * "negative" thoughts take their place.  Makes it happen !! *  *2.  Second law of nature: He who shares what he shares !! * •  * Happy "shares" happiness !! * •  * Sorrowful "sorrow" divides !! *  * • The knower divides "knowledge" !! * • * The confused "delusion" divides !! * • * Fearful fear "divides !! * Feel The nature  * 3.  Third law of nature: *  * Learn to digest whatever you get in life, because: - * • * Food, not digested, diseases increase !! * • * Money, not digested, pretend increases !! * • * Matter, nor digest  But, chugli increases !! * • * Praise, not digested, egoism increases !! * • * Blasphemy, not digested, enmity increases !! * • * Raj, not dige